Hemant Mishra Astrologist – Online Astrologer

ज्योतिष अंधविश्वास नहीं है, प्रामाणिक विज्ञान है। मार्गदर्शन करना ही ज्योतिष का उद्देश्य है। ज्योतिषी कोई भगवान नहीं है और न ही किसी का प्रारब्ध बदल सकते हैं। वर्तमान संदर्भ में ज्योतिष शास्त्र की प्रासंगिकता यह है कि ज्योतिषी सही मार्गदर्शन कर सकते हैं। जिससे कि कर्तव्यविमूढ़ व्यक्ति को सही दिशा मिल सके। * व्यक्ति का नामांक उसके मूलांक एवं भाग्यांक से मेल नहीं खाता। ऐसे में वह व्यक्ति जीवन-भर संघर्ष करता रहता है, पर उसे कुछ मिलता नहीं। जैसे फूटे हुए घड़े में कोई कितना ही पानी डालता रहे, वह भरता नहीं, ठीक यही हाल उस व्यक्ति का होता है जिसका नामांक उसके मूलांक या भाग्यांक के अनुकूल नहीं है।
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हस्त रेखा विशेष

      हस्तरेखा विज्ञान समुद्र ऋषि द्वारा रचित सामुद्रिक शास्त्र का एक अविभाज्य अंग है। मनुष्य का हाथ तो एक ऐसी जन्मपत्रिका है जो कभी नष्ट नहीं होती जिसे स्वयं ब्रह्मा जी ने बनाया है। कहा है-

अक्षया जन्मपत्रीयं ब्रह्मणा निर्मिता स्वयम्ए
ग्रहा रेखाप्रदाए यस्यां यावज्जीवं व्यवस्थिता ।
नास्ति हस्तात्परं ज्ञानं त्रैलोक्ये सचराचरेए
यद्ब्राह्यं पुस्तकं हस्ते धृतबोधायजन्मिनाम् ॥

– हस्त संजीवन

      ब्रह्मा जी द्वारा बनायी गई इस जन्मपत्रिका में इष्टकाल संशोधन, गणितीय त्रुटि की संभावना बिलकुल नहीं है। हस्तरेखाएं भी ग्रहों के समान अमोघ फल को प्रदान करती हुई भावी जीवन का मार्गदर्शन देने वाली, आजीवन सुरक्षित रहने वाली एवं सदा साथ रहने वाली जन्मपत्रिका है। चराचर तीनों लोकों में हस्त ज्ञान से बढ़कर कोई ज्ञान नहीं है। यह गूढ़ संकेत चिह्नों से ब्रह्मा जी द्वारा लिखी गई एक ऐसी लिपि है, जो जीवन भर मनुष्य का मार्गदर्शन करती रहती है। पौराणिक प्रसंगों के अनुसार महर्षि नारद ने सबसे पहले पर्वतराज हिमालय एवं मैना की पुत्री गिरिजा का हाथ देखकर उसके भावी पति की विशेषताओं का वर्णन इन शब्दों में किया-

जोगी, जटिल, अकाम मन नगन अमंगल वेष।
अस स्वामी एहि कहं, मिलहि परी हस्त असि रेख।

-रामचरित मानस बालकाण्ड/57

      हे पर्वतराज! इस कन्या के हाथ में ऐसी रेखा पड़ी है कि इसका पति तो तीनों लोकों का स्वामी होता हुआ भी बैरागी होगा। सबको मंगल देने वाला होता हुआ भी स्वयं अमंगलकारी वेशभूषा को धारण करने वाला, जटाजूट रखने वाला, कामदेव को दग्ध करने वाले देवाधिदेव महादेव होंगे।

      हस्तरेखा व ज्योतिष का अन्योनाश्रित संबंध है। लेकिन जहां ज्योतिष सजातीय (एक समान) जन्मकुण्डलियों एवं जुड़वां बच्चों की जन्मकुण्डलियों के फलादेश में एक सभान) जन्म कहा हस्तरेखा विज्ञान उसे फलित क्षेत्र में आगे बढ़ने में बड़ी भारी सहायता प्रदान करता है। हस्तरेखा वैज्ञानिकों ने निरन्तर खोज की और पाया कि दुनिया में किसी भी दो व्यक्तियों की हस्तरेखाएं (फिंगर प्रिंट्स) एक समान नहीं हो सकतीं। यह तथ्य हस्तरेखा विज्ञान की सार्थकता की सबसे बड़ी धरोहर है। हस्तरेखा के अध्ययन में प्रमुख आयु रेखा, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा, सूर्य रेखा इत्यादि अनेक प्रधान एवं सूक्ष्म रेखाएं हैं। अनेक प्रकार के सितारे, क्रॉस, आड़ी रेखाएं, खड़ी रेखाएं एवं रहस्यमय बिन्दु होते हैं, जिसके द्वारा मानव जीवन के भूत एवं भविष्य का पता लगाया जा सकता है। पर इन सबकी भी एक सीमा होती है।

      हस्तरेखाओं में किसी भी घटना को गणितीय तारीख देना बहुत ही कठिन कार्य है। ईश्वरप्रदत्त इन रहस्यमय गुत्थियों को सुलझाने का कम्प्यूटर पर हम पहली बार प्रयास कर रहे हैं। हमें संतोष है कि हम एक अच्छा व सच्चा प्रयास कर रहे हैं, जो कि मानव जीवन की उपयोगिता को अधिक सार्थक करने में सहायक होगा।

      संसार में जन्मे प्रत्येक व्यक्ति का चरित्र, उसका चेहरा, रंग, गुण-धर्म, सोचने का तरीका, बातचीत करने का तरीका, उसका भाग्य, उसकी हस्तरेखाएं, उसका भविष्य एक दूसरे से पूर्णतः भिन्न है, अलग है। इसी आधार पर पेरिस के महानतम हस्तरेखा विशेषज्ञ श्री डेसबाररोल्लस् ने उच्चघोष से यहां तक कह दिया- “अखिल विश्व में जो व्यक्ति एक ही समान की दो हथेलियों के (च्तपदजे) प्रिन्ट्स मुझे दिखा देगा, उसके चरणों में मैं अपने जीवन की सारी सम्पत्ति अर्पित कर दूंगा। हस्तरेखा विज्ञान ने भी इस सत्यता को स्वीकार किया कि दो हाथ तो क्या दुनियां में दो व्यक्तियों के फिंगर प्रिन्ट्स एक समान नहीं हो सकते। इसलिये हस्तरेखा का विषय बड़ा गहन व गम्भीर है। इसलिये ऋषियों ने कहा-

” नास्ति हस्तात्परं ज्ञानं त्रैलोक्ये सचराचरे।”

      तीनों लोकों में हस्तरेखा ज्ञान से बढ़कर कोई ज्ञान नहीं है क्योंकि इसकी रचना स्वयं ब्रह्मा ने एवं उनके मानस पुत्र समुद्र ऋषि ने की है।