Hemant Mishra Astrologist – Online Astrologer

ज्योतिष अंधविश्वास नहीं है, प्रामाणिक विज्ञान है। मार्गदर्शन करना ही ज्योतिष का उद्देश्य है। ज्योतिषी कोई भगवान नहीं है और न ही किसी का प्रारब्ध बदल सकते हैं। वर्तमान संदर्भ में ज्योतिष शास्त्र की प्रासंगिकता यह है कि ज्योतिषी सही मार्गदर्शन कर सकते हैं। जिससे कि कर्तव्यविमूढ़ व्यक्ति को सही दिशा मिल सके। * व्यक्ति का नामांक उसके मूलांक एवं भाग्यांक से मेल नहीं खाता। ऐसे में वह व्यक्ति जीवन-भर संघर्ष करता रहता है, पर उसे कुछ मिलता नहीं। जैसे फूटे हुए घड़े में कोई कितना ही पानी डालता रहे, वह भरता नहीं, ठीक यही हाल उस व्यक्ति का होता है जिसका नामांक उसके मूलांक या भाग्यांक के अनुकूल नहीं है।
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जन्मतिथि के अनुसार जानें अपना भविष्य

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

          जिन व्यक्तियों को तंत्र तथा संख्याशास्त्र का अधिक ज्ञान नहीं है उन्हें अपने जिम कामों के लिए अपने जन्म की तारीख के अंक के मुताबिक ही काम करना चाहिये। जन्मतिथि के अंक से निश्चित रूप से इस बात की सही जानकारी होती है कि कार्य में सफलता पाने के लिए कौन-सी तारीख जन्मतिथि के अनुकूल रहेगी। इस बारे में जो नियम है, वे सरल तथा आसानी से समझ में आने वाले हैं।

         उदाहरण के रूप में मान लीजिये कि कोई व्यक्ति किसी माह की 1, 10 या 28 आदि तारीखों में से किसी एक में जन्मा है तो वह इनमें से किसी भी तारीख को अपने आवश्यक या महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए चुन सकता है। अंक 4 को अंक 1 का नकारात्मक या नारी अंक माना जाता है, इसलिये मैं यह सलाह दूंगा कि अंक 1 वाले को भौतिक कार्यों की सिद्धि के लिए 4 के अंक को चुनना चाहिये वैसे आमतौर पर यह देखा जाता है कि अंक 4 अपने आप अंक 1 वाले व्यक्तियों के जीवन में आ जाता है। यह अंक (4) एक भाग्यवादी अंक है और इसका असर अंक 1 वाले व्यक्तियों के लिए अधिकतर अच्छा नहीं होता। यह सब उस व्यक्ति की सामर्थ्य के बाहर की बात होती है। मेरे पास अंक 1 वाले ऐसे अनेक लोगों के उदाहरणों का संग्रह है, जिन्हें अंक 4 वाली तारीखों जैसे 4, 13, 22 अथवा 31 को दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ा या उनकी मृत्यु हो गई अथवा अन्य दुखद घटना घटित हुई। इस तरह अंक 4 ने उनकी जिंदगी में कोई-न-कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। अंक 1 वाले व्यक्ति उपचेतन रूप से ऐसे मकानों में रहने के लिए आकर्षित होते हैं जिनका अंक योग 4 बनता है या 14, 13, 22, 31, 40, 49 आदि संख्यावाली गलियों, सडकों पर रहने के लिए विवश से जाते हैं। इन अंकों वाले मकानों, गलियों या सड़कों का उनकी जिंदगी में किसी महत्वपूर्ण घटना के कारण एक विशिष्ट स्थान बन जाता है। लेकिन मैंने यह देखा है कि इससे उन्हें सांसारिक बातों में शायद ही कभी कोई फायदा होता हो।

          अगर किसी की जन्मतिथि 8 है तो उसे 4, 13, 22, 31, 40 तथा 49 आदि संख्यावाले मकान में नहीं रहना चाहिये और यदि किसी का जन्म अंक 4 है तो उसके लिए 8, 17, 35, 44 आदि संख्यावाले मकान में रहना शुभ नहीं। यदि ये अंक वाले (8 तथा 4) लोग कष्टों, दुखों, दुर्भाग्य तथा दुर्घटनाओं से अपनी रक्षा चाहते हैं, उन्हें यह सलाह माननी होगी।

          जिन लोगों की जन्मतिथि का अंक 1 बनता है, उनके लिए अनुकूल दिन 2 तथा 7 या वे तारीखें होती हैं जिनके अंकों को जोड़ने से मूल अंक 2 अथवा 7 बनता हो, जैसे 11, 16, 20, 25 या 29 आदि। इसका कारण यह है कि 2 या 7 अंक 1 के परस्पर परिवर्तनशील अंक हैं। अंक 1 वाले व्यक्तियों के लिए सामान्यतः 2, 7, 11, 16, 20, 25, 29 और 34 आदि संख्यावाले प्रतिकूल नहीं बैठते। परन्तु चूंकि ये अंक परिवर्तनशील और अस्थिर माने जाते हैं, अतः अंक 1 वाला व्यक्ति बहुत कम 2 या 7 मूल अंक वाले मकानों में अधिक समय तक टिक पाता है। इसी प्रकार इन अंकों से सम्बन्ध रखने वाली तारीखें भी उस स्त्री या पुरुष के जीवन में स्थायी या निश्चित प्रकार की परिस्थितियां नहीं लातीं।

          अंकों के परस्पर पड़ने वाले प्रभावों तथा अनुकूलता के नियम के अधीन अंक 1 वाले व्यक्ति को इसी अंक या उसकी श्रृंखला से सम्बन्धित अंकों से सम्बन्ध रखना चाहिये और इसी प्रकार अंक 2 वालों को भी अपने अंकों से सम्बन्ध रखना उचित रहता है। इसी नियम के अधीन 3 से 7 तक अंकवाले व्यक्तियों को अपने-अपने एकल या संयुक्त अंकों से सम्बन्ध रखना अच्छा रहता है। केवल 4 और 8 अंक के व्यक्तियों को इनके एकल और संयुक्त अंकों से बचना चाहिये ताकि उनका प्रभाव बढ़ नहीं सके। उन्हें अन्य भाग्यशाली अंक से अपने को जोड़ना चाहिये।

          इस स्थान पर नाम से सम्बन्धित अंक के ज्ञान तथा उसकी शक्ति का उपयोग करने की जरूरत पैदा होती है। यदि अंक 4 तथा अंक 8 वाले व्यक्ति अधिक भाग्यशाली कंपनों का प्रभाव पाना चाहते हैं तो वे अपने नाम के अक्षरों में आवश्यक परिवर्तन कर उसका अंक शुभ बना सकते हैं। स्पष्ट है कि जन्म के अंक में तब्दीली करना नामुमकिन है।

          मेरे कथन का क्या अर्थ है, इसे समझाने के लिए एक उदाहरण देता हूं। अगर किसी महिला अथवा पुरुष का जन्म 8, 17 या 26 तारीखों में से किसी एक में हुआ है और उसके नाम के अंकों का योग 1,3,5 तथा 6 आता है तो मैं ऐसे लोगों को सलाह दूंगा कि अपने सभी कार्यों के लिए 8 के अंक का उपयोग करना छोड़ दें और उसके स्थान पर नाम से जो अंक प्राप्त हुआ है जैसे 1,3,5 या 6 उसका ही प्रयोग करे। जिन व्यक्तियों का जन्म अंक 4 आता है उन्हें भी ऐसा ही करना चाहिये।

          आप ध्यान देंगे कि मैंने यहां अंक 9 का उपयोग नहीं किया है। इस सम्बन्ध में यह नियम काम करता है कि अंक 4 का प्रतीक यूरेनस है और अंक 8 शनि ग्रह का प्रतिनिधि है। इस भांति यह दोनों अंक 9 के प्रति अपने असर और गुणों में एक-दूसरे के विपरीत हैं, अवरोध या रोड़ा डालनेवाले हैं, कारण यह कि अंक 9 मंगल का प्रतीक है, इसलिए इन दोनों परस्पर विरोधी अंकों को अलग-अलग रखना उचित है।

          जिन लोगों को अंक-शास्त्र की गुप्त विद्या की जानकारी नहीं उन्हें मेरी बात विचित्र लग सकती है परन्तु आपको मेरे कथन पर विश्वास करना चाहिये क्योंकि उक्त नियम वास्तविक अनुमान के अनुसार निश्चित किया गया है। यह नियम ग्रहों से सम्बन्धित ज्ञान पर आधारित है और जिन व्यक्तियों को ज्योतिष का थोड़ा-सा भी ज्ञान है वे मेरे इस कथन को सत्य मानेंगे कि मंगल (9) और शनि (8) तथा यूरेनस (4) ग्रहों का मेल अच्छा नहीं रहता तथा इनसे सभी प्रकार के संकटों तथा दुर्घटनाओं के आने की सम्भावनायें रहती हैं।

          अपने मुख्य विषय पर आते हुए मैं पुनः यह स्पष्ट करता हूं कि जन्म की तिथि और उससे बननेवाला अंक जीवन को प्रभावित करनेवाला मुख्य अंक है, इसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता। दूसरे, इसका व्यक्ति का जन्म होते समय जो ग्रह-स्थिति होती है, तीसरे इसका प्रभाव निर्जीव वस्तुओं पर भी पड़ता है। लेकिन इन प्रभावों को हमारी बुद्धि समझ नहीं पाती। इन समस्त कारणों से जन्म समय के ग्रहों की अनुकूलता और उनका प्रभाव होना निश्चित है। यह प्रभाव मनुष्य के कार्यों पर उसके जन्म से लेकर मृत्यु तक पड़ता रहता है।
इसके अलावा जन्म का अंक हमारी जिंदगी के सांसारिक पहलू से जुड़ा है और नाम का अंक आध्यात्मिक पक्ष से।

          नाम के अंक के बारे में निश्चित होना ज्यादा कठिन है। यह नाम उस भाग का ही अंक होना चाहिये जो भाग अधिक चलता हो अर्थात् प्रचलित हो। साधारण स्त्री-पुरुषों को इस बारे में निश्चय करना मुश्किल होता है क्योंकि कुछ व्यक्ति अपने वास्तविक नाम या पूर्ण नाम की तुलना में उपनाम अथवा जातिवाचक नाम से ज्यादा प्रसिद्ध होते हैं। कुछ महिलाओं को उनके पूरे नाम की अपेक्षा प्यार भरे घर के नाम से ही पुकारा जाता है। यही कारण है जिनसे नाम का अंक निकालने में भूलें हो सकती हैं जबकि जन्मतिथि से निकला अंक कभी नहीं बदलता, इसलिये इसमें भूलें भी कम होती हैं। इस प्रकार मुख्य आधार के रूप में जन्म के मूल अंक का उपयोग करना ही चाहिये।

ऐसी स्थिति में अगर कोई यह विचार करता है कि उसका नाम ठीक है और नाम का अंक तथा जन्मतिथि का अंक एक-दूसरे के अनुरूप या अनुकूल हैं तो इससे बेहतर क्या हो सकता है।

          यदि नाम का अंक जन्म के अंक के प्रतिकूल हो तो नाम के अक्षरों में कुछ बढ़ा-पटाकर उसे परिवर्तित कर लेना चाहिये जिससे दोनों अंक अनुकूल असर और दशावाले बन जायें। मेरी सलाह यह है कि 4 और 8 अंक वाले व्यक्तियों को छोड़कर अन्य सभी को इस तरह के परिवर्तन करके अवश्य लाभ प्राप्त करना चाहिये। 4 तथा 8 अंकों के बारे में शुरू के अध्यायों में बताया जा चुका है।

          अंक-शास्त्र और प्रतीकों के अर्थों की गहरी जानकारी रखनेवाले भावी जीवन तथा भाग्य को और अधिक सुन्दर बनाने के लिए उपनाम या पूरे नाम का उपयोग कर सकते है, परन्तु मैं यह पुस्तक आम लोगों के लिए लिख रहा हूं जो अपनी मदद आसानी से खुद करना चाहते हैं तथा जिनके पास इन सब तथ्यों का गहन पठन-पाठन करने के लिए ज्यादा समय नहीं है। उनसे मुझे यही कहना है कि वे जन्मतिथि के अंक से सम्बन्धित नियमों का पालन करें, जिनका यहां विवरण दिया जा रहा है।

टिप्पणी  :  जन्म का अंक निकालने के लिए माह या वर्ष के अंक निकालने की जरूरत नहीं है। जन्मतिथि ही ज्यादा निजी और अनुकूल होती है।

माह का अंक सामान्य विषयों में और वर्ष का अंक विस्तृत रूप में वर्तमान घटनाओं से सम्बन्ध रखता है और लाभदायक होता है।

उदाहरण – मान लिया कि एक आदमी का जन्म 6 जून, 1866 को हुआ। इसे निम्न रूप में लिखिए-

6….. = 6 (व्यक्तिगत अथवा निजी रूप में)
जून = 5 (सामान्य विषयों में)
1866 = 1़+8़+6़+6 = 21 = 2़+1 =3 (वर्तमान समय)

ऊपर लिखे 6, 5 और 3 के अंकों को भिन्न-भिन्न अर्थों की पृष्ठभूमि में देखना चाहिये। इन्हें एक साथ नहीं जोड़ना चाहिये।

वर्ष के अंकों का योग करने से जो अंक निकलता है, यह भाग्यचक्र में महत्त्वपूर्ण वर्ष को प्रकट करता है।

उदाहरण-
1866
  +21
———-
1887

इस बारे में विस्तृत जानकारी के लिए सम्पर्क करें।