Hemant Mishra Astrologist – Online Astrologer

ज्योतिष अंधविश्वास नहीं है, प्रामाणिक विज्ञान है। मार्गदर्शन करना ही ज्योतिष का उद्देश्य है। ज्योतिषी कोई भगवान नहीं है और न ही किसी का प्रारब्ध बदल सकते हैं। वर्तमान संदर्भ में ज्योतिष शास्त्र की प्रासंगिकता यह है कि ज्योतिषी सही मार्गदर्शन कर सकते हैं। जिससे कि कर्तव्यविमूढ़ व्यक्ति को सही दिशा मिल सके। * व्यक्ति का नामांक उसके मूलांक एवं भाग्यांक से मेल नहीं खाता। ऐसे में वह व्यक्ति जीवन-भर संघर्ष करता रहता है, पर उसे कुछ मिलता नहीं। जैसे फूटे हुए घड़े में कोई कितना ही पानी डालता रहे, वह भरता नहीं, ठीक यही हाल उस व्यक्ति का होता है जिसका नामांक उसके मूलांक या भाग्यांक के अनुकूल नहीं है।
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व्यक्ति के जीवन में उसके नाम का बड़ा महत्व है। नाम के संयुक्तांक प्राप्त होने से हमें यह पता चल जाता है कि अमुक व्यक्ति क्या है। कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति का नामांक उसके मूलांक एवं भाग्यांक से मेल नहीं खाता।

नाम ऋणात्मक है या धनात्मक/ शुभ है या अशुभ

नामांक से भाग्यांक बदला जा सकता है और भाग्यांक बदलकर अपना भाग्य बदल सकते हैं।
व्यक्ति के जीवन में उसके नाम का बड़ा महत्व है। नाम ध्नात्मक होने के बजाय ऋणात्मक होता है, तो ऐसे में वह व्यक्ति जीवन पर्यन्त संघर्ष करता रहता है, परन्तु उसे लक्ष्य की प्रप्ति नहीं होती, ऋणात्मक नाम के व्यक्ति अथवा संस्थान जीवन पर्यन्त संघर्ष करतें हैं, लेकिन परिणाम अनुकुल नहीं होता है।

अंक ज्योतिष के अनुसार शुभ नाम परामर्श हेतु

नामांक से भाग्यांक बदला जा सकता है और भाग्यांक बदलकर अपना भाग्य बदल सकते हैं।
व्यक्ति के जीवन में उसके नाम का बड़ा महत्व है। नाम ध्नात्मक होने के बजाय ऋणात्मक होता है, तो ऐसे में वह व्यक्ति जीवन पर्यन्त संघर्ष करता रहता है, परन्तु उसे लक्ष्य की प्रप्ति नहीं होती, ऋणात्मक नाम के व्यक्ति अथवा संस्थान जीवन पर्यन्त संघर्ष करतें हैं, लेकिन परिणाम अनुकुल नहीं होता है।

नाम ऋणात्मक से धनात्मक संशोधन कर/अशुभ से शुभ करने हेतु

नामांक से भाग्यांक बदला जा सकता है और भाग्यांक बदलकर अपना भाग्य बदल सकते हैं।
व्यक्ति के जीवन में उसके नाम का बड़ा महत्व है। नाम ध्नात्मक होने के बजाय ऋणात्मक होता है, तो ऐसे में वह व्यक्ति जीवन पर्यन्त संघर्ष करता रहता है, परन्तु उसे लक्ष्य की प्रप्ति नहीं होती, ऋणात्मक नाम के व्यक्ति अथवा संस्थान जीवन पर्यन्त संघर्ष करतें हैं, लेकिन परिणाम अनुकुल नहीं होता है।

अकं ज्योतिष के अनुसार आपका शुभ दिन, ईष्ट देवता, भाग्याशाली संख्या, स्टार एवं रतन जानने हेतु

नामांक से भाग्यांक बदला जा सकता है और भाग्यांक बदलकर अपना भाग्य बदल सकते हैं।
व्यक्ति के जीवन में उसके नाम का बड़ा महत्व है। नाम ध्नात्मक होने के बजाय ऋणात्मक होता है, तो ऐसे में वह व्यक्ति जीवन पर्यन्त संघर्ष करता रहता है, परन्तु उसे लक्ष्य की प्रप्ति नहीं होती, ऋणात्मक नाम के व्यक्ति अथवा संस्थान जीवन पर्यन्त संघर्ष करतें हैं, लेकिन परिणाम अनुकुल नहीं होता है।

अंक ज्योतिष के अनुसार कार्यक्षेत्र का चुनाव करने हेतु परामर्श

नामांक से भाग्यांक बदला जा सकता है और भाग्यांक बदलकर अपना भाग्य बदल सकते हैं।
व्यक्ति के जीवन में उसके नाम का बड़ा महत्व है। नाम ध्नात्मक होने के बजाय ऋणात्मक होता है, तो ऐसे में वह व्यक्ति जीवन पर्यन्त संघर्ष करता रहता है, परन्तु उसे लक्ष्य की प्रप्ति नहीं होती, ऋणात्मक नाम के व्यक्ति अथवा संस्थान जीवन पर्यन्त संघर्ष करतें हैं, लेकिन परिणाम अनुकुल नहीं होता है।

वास्तुशास्त्र का एकमात्र उद्‌देश्य उन प्राचीन शास्त्रों के अस्तित्त्व, महत्त्व, प्रामाणिकता और उपयोगिता को सिद्ध करना है, जो हमारी आधुनिक पीड़ी के लिए गुम हो चुकी हैं।

भारतीय सभ्यता और संस्कृति अपनी मूलप्रकृति में आध्यात्मिक है, लेकिन आज भारत में बहुत परिवर्तन आ चुका है, संक्रमण को प्रक्रिया अब भी चल रही है। गतिशीलता, आर्थिक अवसर, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति, औद्योगीकरण, राजनैतिक आधार के विस्तार व जनमाध्यमों के प्रभावों ने पुरानी परंपराओं को समाप्तप्राय कर दिया है। इसके फलस्वरूप आक्रामक भौतिकवाद का प्रभाव अत्यधिक बढ़ता जा रहा है और हमारी पुरानी भारतीय संस्कृति धूमिल पड़ती जा रही है।

परंतु इतना सबकुछ होने के बावजूद भी हमारी वैदिक परंपराएं और सांस्कृतिक विरासत जीवित रहेगी, क्योंकि लोग धीरे- धीरे अपनी बौद्धिक शक्ति की सीमाओं का अनुभव करने लगे हैं। वे अनुभव करते हैं कि वे जलयान, वायुयान और सुपर कारों का तो निर्माण कर सकते हैं परंतु सागर, पृथ्वी और वायु का सृजन नहीं। वे आश्चर्य कर रहे हैं कि अपने को महाशक्ति कहने वाले राष्ट्र तक महान् प्राकृतिक संकटों के सामने विवश क्यों हो जाते हैं। वे भी अब यह समझने लगे हैं कि उनकी शक्तियां उससे कहीं कम हैं, जिनका वे स्वप्न देखते हैं।

शायद यह आज के अनिश्चित समय का मनस्ताप है कि मंदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों और अन्य धार्मिक स्थानों में जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आने का कोई चिह्न नहीं दिखाई दे रहा है। इस युग में यह देखना है कि किस प्रकार से वास्तुकला, जो हमारी वैदिक परंपराओं का एक अंश है, अब भी जीवित है। वेदों, गीता, वास्तुशास्त्रों और स्कृतियों को मिलाकर जो नियमावली बनती है, वह जीवन को कम-से-कम तनाव तथा संघर्ष से जीने की एक परिणामवादी और व्यावहारिक मार्गदर्शिका है। व्याख्या करने की पसंद हमारी है और कभी-कभी हमारी कोई पसंद नहीं रह जाती, क्योंकि इस अनुभवजन्य संसार में अपने जीवन को सार्थक करने के लिए किसी भी उस तिनके या तिनकों को हमें पकड़ लेना होता है, जिनसे आशा प्राप्त होने की थोड़ी भी संभावना होती है। संभवतया हजारों वर्षों के रसाकर्षण से हमारी पैतृक संपदा को इस देश के लोगों द्वारा इतने अदृश्य रूप से अपना लिया गया है कि हिंदू मानस में बिना कोई क्रांतिकारी परिवर्तन लाये, इसमें भी बदलाव नहीं लाया जा सकता।

इस पुस्तक को लिखते समय सच्चाई और ईमानदारी से प्रयत्न किया गया है, जिसमें भारतीय वास्तुशिल्पशास्त्र और परंपरा के विश्वव्यापी चरित्र, वैज्ञानिक तथा ज्योतिषीय आधार को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। अतः विश्वास है कि यह पुस्तक उस पीढ़ी में विशेष रुचि जाग्रत करेगी, जो संभावनाओं पर आधारित नहीं, वरन् पूर्ण रूप से ज्ञात और संदेहरहित ज्ञान को ही स्वीकार करती है। यह आधुनिक पीढ़ी संपूर्ण मानवता के लाभ के लिए अपने महान् प्राचीन धर्मग्रंथ (वेद) का संरक्षण और समर्थन करेगी।

ब्रह्मा जी द्वारा बनायी गई इस जन्मपत्रिका में इष्टकाल संशोधन, गणितीय त्रुटि की संभावना बिलकुल नहीं है। हस्तरेखाएं भी ग्रहों के समान अमोघ फल को प्रदान करती हुई भावी जीवन का मार्गदर्शन देने वाली, आजीवन सुरक्षित रहने वाली एवं सदा साथ रहने वाली जन्मपत्रिका है। चराचर तीनों लोकों में हस्त ज्ञान से बढ़कर कोई ज्ञान नहीं है।

यह गूढ़ संकेत चिह्नों से ब्रह्मा जी द्वारा लिखी गई एक ऐसी लिपि है, जो जीवन भर मनुष्य का मार्गदर्शन करती रहती है।

पौराणिक प्रसंगों के अनुसार महर्षि नारद ने सबसे पहले पर्वतराज हिमालय एवं मैना की पुत्री गिरिजा का हाथ देखकर उसके भावी पति की विशेषताओं का वर्णन इन शब्दों में किया, हस्तरेखा व ज्योतिष का अन्योनाश्रित संबंध है। लेकिन जहां ज्योतिष सजातीय (एक समान) जन्मकुण्डलियों एवं जुड़वां बच्चों की जन्मकुण्डलियों के फलादेश में पंगु हो जाता है, वहां हस्तरेखा विज्ञान उसे फलित क्षेत्र में आगे बढ़ने में बड़ी भारी सहायता प्रदान करता है।

हस्तरेखा वैज्ञानिकों ने निरन्तर खोज की और पाया कि दुनिया में किसी भी दो व्यक्तियों की हस्तरेखाएं (फिंगर प्रिंट्स) एक समान नहीं हो सकतीं। यह तथ्य हस्तरेखा विज्ञान की सार्थकता की सबसे बड़ी धरोहर है।

अंक ज्योतिष के चक्र में 12 राशियां एवं 9 ग्रह होते हैं। प्रत्येक ग्रह एक दूसरे ग्रह के प्रति आकर्षण एवं विकर्षण रखते है। यह सोचना तार्किक है कि समान तत्व वाले नैसर्गिक मैत्री भाव रखते हैं। समान प्रकृति, समान सोच वाले स्त्री-पुरूष, युवक-युवतियां जब मिलते हैं, तो स्वतः ही एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और उनमें प्रगाढ़ मैत्री स्थापित हो जाती है। प्रगाढ़ मैत्री प्रेम में बदल जाती है तथा प्रेम परिणय-सूत्र में बदल जाता है। इसके विपरीत ऐसे उदाहरणों की भी कमी नहीं, जब विवाह-सूत्र में बंधे दो प्राणी बेमेल विवाह के शिकार हो जाते हैं और पति-पत्नी को नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर कर देते हैं।

नतीजा तलाक, आत्महत्या, बलात्कार, प्रतिशोध जैसे जघन्य अमानवीय व्यवहार की घृणित कहानियों में परिणत हो जाता है।

 

उपरोक्त जानकारी कर आप अपनी अनुकूल राश्यिों से मैत्री भाव स्थापित कर अपने जीवन में आगे बढ़ाने वाली राश्यिों से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। यह उपरोक्त जानकारी आपको अपने जीवनसाथी, गर्लफ्रेंड, बाॅयफेंड, बिजनेस पार्टनर, ऑफिस स्टाफ इत्यादि के चुनाव में काफी सहायता करेगा। इतना ही नहीं, किन राश्यिों से आपको सावधान रहना है, कौन आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं, आपकी शुत्र राशियों से कौन-कौन सी हैं यह जानने हेतु परामर्श लें

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