Hemant Mishra Astrologist – Online Astrologer

ज्योतिष अंधविश्वास नहीं है, प्रामाणिक विज्ञान है। मार्गदर्शन करना ही ज्योतिष का उद्देश्य है। ज्योतिषी कोई भगवान नहीं है और न ही किसी का प्रारब्ध बदल सकते हैं। वर्तमान संदर्भ में ज्योतिष शास्त्र की प्रासंगिकता यह है कि ज्योतिषी सही मार्गदर्शन कर सकते हैं। जिससे कि कर्तव्यविमूढ़ व्यक्ति को सही दिशा मिल सके। * व्यक्ति का नामांक उसके मूलांक एवं भाग्यांक से मेल नहीं खाता। ऐसे में वह व्यक्ति जीवन-भर संघर्ष करता रहता है, पर उसे कुछ मिलता नहीं। जैसे फूटे हुए घड़े में कोई कितना ही पानी डालता रहे, वह भरता नहीं, ठीक यही हाल उस व्यक्ति का होता है जिसका नामांक उसके मूलांक या भाग्यांक के अनुकूल नहीं है।
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मानव के जीवन में नैसर्गिक प्रेम के साथ-साथ तलाक, हत्या, आत्महत्या जैसे अमानवीय कृत्य का कारण क्या है ?

आइए जानते हैं कि ज्योतिष के दृष्टिकोण से आपका पुत्र, आपका भाई, आपकी पत्नी, आपकी बहन, आपकी गर्लफ्रेन्ड, आपका बॉस आपके मित्र हैं अथवा शत्रु ?

इस बात से लगभग सभी दर्शक अभिज्ञ हैं कि ज्योतिष चक्र में 12 राशियां एवं 9 ग्रह होते हैं। प्रत्येक राशि एक-दूसरी राशि के प्रति आकर्षण एवं विकर्षण रखते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अग्नि तत्व वाली राशियां अग्नि तत्व से, पृथ्वी तत्व वाली राशियां पृथ्वी तत्व से, वायु तत्व वाली राशियां वायु तत्व से, जल तत्व वाली राशियां जल तत्व से, आकर्षित होकर मैत्री भाव रखती है। यह सोचना तार्किक है कि एक समान तत्व वाले नैसर्गिक मैत्री भाव रखते हैं। पिता-पुत्र, पति-पत्नी, भाई-बहन युवक-युवतियां जब मिलते हैं, तो स्वतः ही एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और उनमें प्रगाढ मैत्री स्थापित हो जाती है, प्रगाढ मैत्री प्रेम में बदल जाती है, तथा प्रेम परिणय सूत्र में बदल जाता है। इसके विपरीत ऐसे उदाहरणों की भी कमी नहीं, जब विवाह-सूत्र में बंधे दो प्राणी बेमेल विवाह के शिकार हो जाते है और पति-पत्नी को नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर कर देते हैं। जिसका नतीजा तलाक, आत्महत्या, बलात्कार, प्रतिशोध जैसे जघन्य अमानवीय व्यवहार की घृणित कहानियों में परिणत हो जाता हैं।

इस अध्याय के माध्यम से आप अपनी अनुकूल राशियों से मैत्री भाव स्थापित कर अपने जीवन में आगे बढ़ाने वाली राशियों से सहायत प्राप्त कर सकते हैं। यह अध्याय आपको अपने जीवनसाथी के चुनाव में काफी सहायता करेगा।

इतना ही नहीं, किन राशियों से आपको सावधना रहना है, कौन आपको नुकसान पहुंचा सकता है, आपकी शत्रु राशियों कौन-कौन सी हैं? इसकी जानकारी भी आपको इसी अध्याय में मिलेगी।
मेष राशि, सिंह राशि एवं धनु राशि की मित्र राशि-मिथुन राशि, तुला राशि एवं कुंभ राशि होती हैं क्योंकि यह वायु तत्व राशियां है जोकि अग्नि को आक्सीजन देकर अग्नि का प्रज्ज्वलन शक्ति बढ़ाते हैं। साथ ही तत्वों के मिलने से सृजन एवं निर्माण का कार्य होता है. लेकिन विकर्षण तत्व के सम्पर्क में आने से युद्ध और विध्वंश जैसे जघन्य अपराध ही कारित करते हैं।

आज के अध्याय को देखकर आप अपनी अनुकूल राशियों को जान सकते हैं, जानने के बाद मैत्री भाव स्थापित कर अपने जीवन में आने वाली राशियों से सहायता भी प्राप्त कर सकते हैं। आज के अध्याय से आपको अपने जीवनसाथी, बिजनेश पार्टनर, कर्मचारी के चुनाव में काफी सहायता मिल सकती है, साथ ही आप यह जान सकते हैं कि आपके परिवार में आपके पुत्र-पुत्री आपके मित्र हैं अथवा शत्रु ? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अग्नि तत्व वाली राशियां अग्नि तत्व से, पृथ्वी तत्व वाली राशियां पृथ्वी तत्व से, वायु तत्व वाली राशियां वायु तत्व से, जल तत्व वाली राशियां जल तत्व से, आकर्षित होकर मैत्री भाव रखती है। इसी क्रम में आइये जानते हैं कि अग्नि तत्व, राशियां कौन-कौन सी होती हैं और इनका आकर्षण एवं विकर्षण किन-किन राशियों से होता है।

1. अग्नि तत्व उत्तेजक राशियां होती हैं। ज्योतिष शास्त्र में अग्नि तत्व राशि में तीन राशियों को शामिल किया गया है, जिन्हें मेष राशि, सिंह राशि, धनु राशि के नाम से जाना जाता है।

21 मार्च से 19 अप्रैल के बीच में जन्म लेने वाले जातकों का राशि मेष राशि होती है।
23 जुलाई से 22 अगस्त के बीच में जन्म लेने वाले जातकों का राशि सिंह राशि होती है।
22 नवंबर से 21 दिसंबर के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि धनु राशि होती है।

अग्नि तत्व राशियों की घोर शत्रु जल तत्व राशियां होती है। जल तत्व संवेदनशील भावुक राशियां होती हैं। ज्योतिष शास्त्र में जल तत्व राशि में तीन राशियों को शामिल किया गया है, जिन्हें कर्क राशि, वृश्चिक राशि, मीन राशि के नाम से जाना जाता है।

21 जून से 22 जुलाई के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि कर्क होती है।
23 अक्टूबर से 21 नवंबर के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि वृश्चिक होती है।
19 फरवरी से 20 मार्च के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि मीन होती है।

मेष राशि, सिंह राशि एवं धनु राशि के सम्पर्क में यदि कर्क राशि, वृश्चिक राशि एवं मीन राशि के जातक आते हैं तो तलाक, आत्महत्या, बलात्कार, प्रतिशोध जैसे जघन्य अपराध, अमानवीय व्यवहार की घृणित कहानियां परिणत होगी। अग्नि तत्व जातक के परिवार में जल तत्व जातक का जन्म होगा तो सिर्फ और सिर्फ युद्ध और विध्वंश ही होगा क्योंकि अग्नि तत्व और जल तत्व में परस्पर बैर भाव रहता है, इनमें सामंजस्य स्थापित हो ही नही सकता, यह दोनो एक-दूसरे के घोर विरोधी हैं यह दोनों एक-दूसरे का विध्वंस करना चाहते हैं, जैसे अग्नि प्रज्ज्वलित हो रही हो उसी दौरान अग्नि में जल डाल दिया जाये तो अग्नि की प्रज्ज्वलन शक्ति समाप्त हो जायेगी। ठीक इसी प्रकार अग्नि के ऊपर किसी पात्र में जल रख दिया जाये तो अग्नि जल को भाप के रूप में समाप्त कर जल का मूल नाश कर सकती है। इसीलिए अग्नि तत्व राशि वाले व्यक्तियों-संस्थानों को जल तत्व राशियों के व्यक्तियों एवं संस्थानों से सावधान रहना चाहिए। मेष राशि, सिंह राशि एवं धनु राशि की मित्र राशि-मिथुन राशि, तुला राशि एवं कुंभ राशि होती हैं क्योंकि यह वायु तत्व विचार प्रधान राशियां होती हैं, जिन्हें मिथुन राशि, तुला राशि एवं कुंभ राशि के नाम से जाना जाता है।

21 मई से 20 जून के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि मिथुन होती है।
23 सिंतबर से 22 अक्टूबर के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि तुला होती है।
20 जनवरी से 18 फरवरी के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि कुंभ होती है।

वायु तत्व राशियां-अग्नि तत्व राशियों को आक्सीजन देकर अग्नि की प्रज्ज्वलन शक्ति बढ़ाती हैं। इनके आपस में मिलने से नैसर्गिक प्रेम संबंध स्थापित होगा, सृजन एवं निर्माण का कार्य होगा, यह दोनों एक-दूसरे के उत्थान के लिए कार्य करेंगे, एक-दूसरे के भावनाओं का आदर पूर्वक सम्मान करेंगे, दुख और सुख में एक-दूसरे के सहभागी होगे, एक-दूसरे के प्रति अटूट निष्ठा होगी, प्रेम की पराकाष्ठा होगी, परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल दोनों के बीच में निश्छल भाव से प्रगाढ़ प्रेम बना रहेगा। मेष राशि, सिंह राशि एवं धनु राशि का सामान्य संबंध-वृष राशि, कन्या राशि एवं मकर राशि से होता हैं क्योंकि यह पृथ्वी तत्व भौतिक राशियां होती हैं, पृथ्वी अग्नि को प्रज्ज्वलित करने के लिए सामग्री एवं स्थान देती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पृथ्वी तत्व राशियों में तीन राशियों को शामिल किया गया है, जिन्हें वृष राशि, कन्या राशि एवं मकर राशि के नाम से जाना जाता है।

20 अप्रैल से 20 मई के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि वृष होती है।
23 अगस्त से 22 सिंतबर के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि कन्या होती है।
22 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि मकर होती है।

मेष राशि, सिंह राशि, धनु राशि का वृष राशि, कन्या राशि, मकर राशि से सामान्य सम्बन्ध रहेगा, क्योंकि यह पृथ्वी तत्व राशियां हैं, पृथ्वी अग्नि को अपने ही सामग्रियों के साथ अपने ऊपर धारण करती है, इसलिए पृथ्वी तत्व एवं अग्नि तत्व में सम्बन्धों का निर्वहन होगा, प्रेम रहेगा लेकिन प्रगाढ़ प्रेम नहीं होगा, तलाक, आत्महत्या, बलात्कार, प्रतिशोध जैसे जघन्य, अमानवीय व्यवहार भी यह दोनो एक-दूसरे के प्रति नही करेंगे, यह दोनों एक दूसरे के प्रति कुण्ठा एवं विद्वेशपूर्ण भावना भी नहीं रखेंगे। अग्नि तत्व राशियों को पृथ्वी तत्व राशियों के साथ भी सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए।

2. जल तत्व संवेदनशील भावुक राशियां होती हैं। ज्योतिष शास्त्र में जल तत्व राशि में तीन राशियों को शामिल किया गया है, जिन्हें कर्क राशि, वृश्चिक राशि, मीन राशि के नाम से जाना जाता है।

21 जून से 22 जुलाई के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि कर्क होती है।
23 अक्टूबर से 21 नवंबर के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि वृश्चिक होती है।
19 फरवरी से 20 मार्च के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि मीन होती है।

जल तत्व राशियों का आकर्षण पृथ्वी तत्व राशि से होता है, पृथ्वी तत्व राशियों में तीन राशियों को शामिल किया गया है, जिन्हें वृष राशि, कन्या राशि एवं मकर राशि के नाम से जाना जाता है।

20 अप्रैल से 20 मई के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि वृष होती है।
23 अगस्त से 22 सिंतबर के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि कन्या होती है।
22 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच में जन्म लेने वाले जातकों की राशि मकर होती है।

पृथ्वी तत्व राशियों का जल तत्व राशियों के साथ प्रगाढ़ प्रेम होता है क्योंकि पृथ्वी जल को धारण करती है जिसके कारण पृथ्वी की प्रजनन शक्ति बढ़ती है, पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, उत्साहित होकर हर्षित भाव से जल का सम्मान करते है। पृथ्वी जल को आत्मीयता से धारण कर पौधों तथा जीव-जन्तुओं के जीवन को संरक्षित करती है। पृथ्वी जल के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इनके आपस में मिलने से नैसर्गिक प्रेम संबंध स्थापित होगा, सृजन एवं निर्माण का कार्य होगा, यह दोनों एक-दूसरे के उत्थान के लिए कार्य करेंगे, एक-दूसरे की भावनाओं का आदर पूर्वक सम्मान करेंगे, दुख और सुख में एक-दूसरे के सहभागी होगे, एक-दूसरे के प्रति अटूट निष्ठा होगी, प्रेम की पराकाष्ठा होगी, परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल दोनों के बीच में निश्छल भाव से प्रगाढ़ प्रेम बना रहेगा। जल तत्व, पृथ्वी तत्व के जातक एक-दूसरे के संबंधों को महत्व देगे, एक-दूसरे के हित रिश्तेदारों को पाकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करेंगे।

जल तत्त्व का अग्नि तत्त्व से परस्पर बैर रहेगा। जल तत्त्व राशि के लोग अग्नि तत्त्व राशि के लोगों से किसी सूरत में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाएंगे क्यूंकि ये दोनों एक दूसरे के घोर विरोधी हैं। दोनों एक दूसरे के अहित करने की दिशा में रचनात्मक कार्य करते रहेंगे। एक दूसरे की भावनाओं का आदर सौ प्रतिशत नहीं करेंगे। जल तत्त्व का वायु तत्त्व से बैर रहेगा। जल स्थिर रहना चाहता है लेकिन वायु उसे चलायमान कर देता है जिससे जल वायु से कुपित हो जाता है। जल का जब भी वायु से सम्बन्ध होगा तो विकृति उतपन्न होती है लेकिन परिस्थितियां विनाशक नहीं होती हैं। जल तत्त्व संवेदनशील, भावुक राशियां होती हैं एवं वायु तत्त्व विचारप्रधान राशियां होती है। जल तत्व राशियों का पाला जब वायु तत्त्व राशियों से पड़ता है तो लोकलाज के कारण ये लोग सम्बन्धो का निर्वहन कर ले जाते हैं लेकिन इन लोगों में प्रेम भाव अब तक हमारे दृश्टिकोण से हमें देखने को नहीं मिला है। ये लोग रेल के इंजन में डब्बे के समान बंध कर अपने सम्बन्धो का निर्वहन कर ले जाते हैं। ये दोनों एक दूसरे के घोर शत्रु नहीं होते हैं |